Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -06-Apr-2022 - आंखें तेरी कातिल


आंखे तेरी मुझे बुला रही , 
दिल पर खंजर चला रही |
इश्क इन से छलक रहा,
पैमाना जैसे  हो भर रहा |

मदहोश मैं हो रही , 
आंखों में तेरी मैं खो रही |
नूर ही नूर बरस रहा , 
जाम जैसे हो छलक रहा |

बातें ये मुझसे कर रही ,
आंखों ही आंखों में बोल रही |
इशारे इनके कर रहे बेचैन मुझे, 
मिलन के लिए ही तड़प रही |

सज सॅवर कर निकल रही , 
इंतजार तेरा कर रही |
आंखें तेरी करें तारीफ तो, 
शरमा कर मैं निखर रही हूंँ |

आंखों में तेरी कोई जादू  , 
अमृत पान करा रही |
दर्पण है यह दिल का ,
अपलक ही निहार रही |

हिरनी जैसी ये चंचल , 
चाॅद जैसी है दीवानी |
कातिल ये है तो बड़ी ,
धीरे से है कत्ल कर जाती |

तेरी आंखें मुझे बुलाती है ,
कत्ल मेरा कर जाती हैं |


प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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13 Comments

Reyaan

07-Apr-2022 12:45 PM

Very nice

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Shnaya

07-Apr-2022 11:59 AM

Very nice

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Punam verma

07-Apr-2022 10:43 AM

Very nice

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